सरसों को ‘सयानी’ कहकर कवि क्या कहना चाहता होगा?


यहाँ सरसों के ‘सयानी’ होने का तात्पर्य उसकी फसल के पक जाने से है। कवि के अनुसार खेत की बाकी फसलो की तुलना में सरसों लंबी और बड़ी हो गई है जबकि अन्य फसलें लंबाई में छोटी हैं| उसमें पीले फूल भी नजर आ रहे हैं। सरसों अपने हाथ पीले कर अब मंडप में जाने को तैयार है इसीलिये कवि ने सरसों को सयानी कहा है|


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