कवि की मां ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती हैं। आपकी मां भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी-

(क) वह आपको क्या सीख देती हैं?


(ख) क्या उसकी हर सीख आपको उचित जान पड=ती है? यदि हां तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं?


(क) एक अच्छा नागरिक और नेक इंसान बनने के लिए मेरी माँ भी मुझे समय-समय पर सीख देती रहती है। मेरी माँ कहती है कि मुझे बड़ों का आदर करना चाहिए और कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। जब भी पढ़ने बैठूं तो मुझे पूरा ध्यान पढाई में ही लगाना चाहिए। मेरी माँ मुझे सही और गलत में अंतर भी बताती है। माँ ने मुझे सिखाया कि हमेशा सही रस्ते पर चलों और दूसरों की निंदा न करो क्योंकि हम सब एक ही भगवान के द्वारा बनाये गए हैं। नैतिक कार्य करो और अनैतिकता से दूर रहो। दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा अग्रसर रहो। मेरी माँ मुझसे कहती है कि हमेशा ईश्वर पर भरोशा बनाये रखो और अजनबियों से दूर रहो।

(ख) हाँ, मुझे अपनी माँ की हर सीख उचित जान पड़ती है क्योंकि प्रत्येक माँ अपने बच्चे का अच्छा ही चाहती है। वह कभी भी नहीं चाहती है कि उसके बच्चे कोई मुसीबत में पड़े। इसलिए माँ अपनी सीख से समय-समय पर अपने बच्चों की रक्षा भी करती है। माँ जानती है कि इस दुनिया में बहुत सारी बुराइयां हैं जिससे उसे अपने बच्चों को बचाना है। माँ से अच्छा गुरु अपने बच्चों के लिए कोई नहीं हो सकता है। इसलिए हर बच्चे को अपनी माँ की बात माननी चाहिए और उनके द्वारा दिखाए हुए रास्ते पर ही चलना चाहिए। माँ हमे जो संस्कार देती है उसके द्वारा ही हम इस समाज में रहकर सही और गलत का फर्क कर पाते हैं और अपने भविष्य के लिए सही निर्णय ले पाते हैं।


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