‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती है’- का आशय स्पष्ट कीजिए?
मनुष्य अपने जीवन में भविष्य के लिए बहुत सारी योजनाएं बनाता है और उन योजनाओं के अनुसार अपने जीवन में आगे बढ़ता है। लेकिन कभी-कभी मनुष्य को इतनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है कि सभी योजनाएं धरी की धरी रह जाती है और मनुष्य को उन मुश्किलों से निपटने के लिए समय के अनुसार कार्य करने पड़ते हैं। जैसे लेखक ने कुँए में जाने से पहले सोचा था कि कुँए के अंदर जाकर वह सांप को डंडे से मार देगा क्योंकि सांप को मारना लेखक के बाएं हाथ का खेल था, उसने पहले भी डंडे से बहुत सांप मारे थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ, कुआँ कच्चा होने के कारण उसका व्यास बहुत छोटा था जिसमे डंडा चलाना असंभव था। अतः कभी-कभी मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ मिथ्या और उलटी निकलती हैं जबकि असल में उसे परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेना पड़ता है|