नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-

जैसे चितवत चंद चकोरा


इस पंक्ति का अर्थ है जैसे चकोरा दिन-रात चांद को निहाने की इच्छा रखता है, ठीक उसी प्रकार रैदास क्षण भर भी प्रभु की भक्ति से अपना मन नहीं हटाना चाहता। इस वजह से वह प्रभु को चंद और खुद को चकोर बता रहा है, जो हमेशा प्रभु को निहारने की इच्छा रखता है। इससे स्पष्ट होता है कि प्रभु बिना भक्त का जीवन कितना अधूरा है।


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