कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है।
कवि फूलों की तंद्रा और आलस्य को दूर कर उन्हें अपने हाथ के कोमल स्पर्श से जगाना चाहता है। ताकि बोझिल भाव में सुस्त हो चुके फूल चुस्त व सजग हो सकें और उनकी महक चारों ओर फैल सके। कवि इन फूलों को वसंत के मनोहर प्रभात का समाचार देना चाहता है। कवि चाहता है कि मुरझाई कली से खिलकर बने फूल वसंत के सौंदर्य की शोभा को और बढ़ाएं। कवि नहीं चाहता है कि आलस्य की वजह से फूल मुरझाएं।