आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है। क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।


आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत ही मुश्किल है। मैं भी इस बात से पूरी तरह सहमत हूं। ईमानदारी की बातें करने वाले और उस पर ज्ञान देने वालों की कमी नहीं है। लेकिन जब वास्तव में ईमानदारी दिखाने का समय आता है तब लोग अपने स्वार्थ को प्राथमिकता देने लगते हैं। असल में ज्यादातर शक्तिशाली व्यक्ति प्रभुत्व हासिल करने के लिए कभी सच्चाई और ईमानदारी से काम नहीं करते। वहीं जो कमजोर हैं उनके पास ईमानदारी दिखाने के अलावा और कुछ नहीं। स्वार्थपर्ता और प्रभुत्व का लालच इंसान को हमेशा ईमानदारी के मार्ग से भटकाने का काम करता है।


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