पाठ के साथ केवल पढ़ने के लिए दी गई पठन-सामग्री ‘हम पृथ्वी की संतान!’ का सहयोग लेकर पर्यावरण संकट पर एक लेख लिखें।


पठन-सामग्री ‘हम पृथ्वी की संतान!’ के सहयोग से पर्यावरण संकट पर लेख:

आज पर्यावरण संकट अपने गंभीर रूप में हमारे सामने है। यह संकट दिनोंदिन विकराल रुप लेता जा रहा है। यह स्थिति कोई एक-दो दिन में नहीं बनी है। वास्तव में हमारी प्रकृति के साथ एक निश्चित समय तक बरती गई घनघोर लापरवाही पर्यावरण की भयावह स्थिति के लिए जिम्मेदार है। पृथ्वी का अस्तित्व अरबों वर्ष से है। मानव इसपर अन्य कई जीवों के बाद अस्तित्व में आये। हमने अपनी भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पृथ्वी के संसाधनों का भरपूर दोहन किया। हमने नदियों के उपर बांध बनाये हमने पनबिजली बनाने हेतु ऐसा किया। हमारे शहरों में कल-कारखानों एवं गाङियों से निकलने वाले काले धुएं से वायु प्रदूषण काफी बढ गया है। इस काले धुएं के कारण हमारे आसपास का वातावरण जहर से भर गया है। वातावरण के घटक के इस प्रकार की स्थिति सूर्य से निकलने वाली हानिकारक किरणें को हमारे वायुमंडल में प्रवेश करने से पूर्व ही वापस परावर्तित करने में अक्षम हो रही हैं। विश्वव्यापी स्तर पर कार्बन के अत्यधिक उत्सर्जन से तापमान में वृद्धि हो रही है। तापमान में यह वृद्धि प्रकृति के सारे नियमों को ताक पर रखने के कारण हो रही है। नियम की यह अनदेखी हमारे द्वारा प्रकृति के संसाधनों के दुरुपयोग करने पर हो रही है। आज हम इस दुरुपयोग के परिणामस्वरूप विश्व में ग्लोबल वार्मिंग या ग्रीन हाउस इफेक्ट को देख रहे हैं। इस इफेक्ट का साइड इफेक्ट हमें पर्वतों पर ग्लैशियर के पिघलने के रूप में दिखाई पङ रहा है। इसके अलावा हमारे द्वारा शहरों में फैलाये जा रहे कचरों से हमारी नदियां प्रदूषित हो रही हैं। बढते तापमान का असर नदियों की अविरलता पर भी पङ रहा है। नदियों के उद्गम स्थल वाले गलैशियर के पिघलने से समुद्र तल की उंचाई बढ रही है जिससे छोटे-छोटे द्वीपों और शहरों के जलमग्न होने का खतरा दिनोंदिन बढता ही जा रहा है। इन सब परिणामों से हमारे द्वारा पुत्र के रुप में पृथ्वी मां के प्रति अपने कर्तव्यों को ना निभा पाने के बारे में हमें संकेत मिल रहा है। अच्छा होगा हम इन संकतों को समझकर पर्यावरण पर आये संकट को दूर करने की दिशा में प्रत्येक वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाने के अतिरिक्त भी अन्य सकारात्मक उपाय करें।


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