साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?
सांप के मन में कभी आकाश में उड़ने की इच्छा नहीं थी, लेकिन बाज के मृत्यु के क्षणों में भी उड़ान भरने की इच्छा ने उसे भी उडने के लिए प्रेरित कर दिया। आसमान में न उड़ पाने के कारण बाज के मुंह से दर्दनाक चीखें निकल रही थीं, जिससे वह अंदर् ही अंदर तड़प रहा था। उसकी उड़ने की असीम चाह देखकर साँप भी आकाश की असीम शून्यता को पाने के लिए बेचैन हो रहा था। वह भी आसमान की गहराई को नापने और ऊंचाइयों में छिपे रहस्यमयी खजाने के तलाशने के लिए उड़ान भरना चाहता था। लेकिन जैसे ही उसने उड़ने की कोशीश की वह धडाम से जमीन पर गिर पड़ा और तब सोचने लगा की उड़ना तो मूर्खता है|