टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस-किसके पस गई? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें।


आदमी को टोपी पहने देख गवरइया के मन में अपने लिए भी टोपी बनवाने का ख्याल आता है। घूरे पर चुगते हुए उसे एक रुई का फाहा मिल जाता है। इसके बाद टोपी बनवाने का सफर शुरू होता है। सबसे पहले गवरइया धुनिया के पास जाती है, फिर कोरी के पास, इसके बाद बुनकर और फिर दर्जी के पास जाती है।


क. धुनिया के पास- रुई के फोहे को लेकर गवरइया धुनिये के पास गई। वह पहले तो गवरइया का काम करने से मना करता रहा। जब गवरइया ने धुनिये को आधी रुई रख लेने की बात कही तो वह तुरंत मान गया और रुई धुनकर दे दी।


ख. कोरी के पास- रुई धुनने के बाद गवरइया उसे लेकर कोरी के पास पहुंचती है। कोरी भी सूत बनने से मना कर देता है। इसके बाद गवरइया उसे आधा सूत मेहनताना के रूप में रख लेने को कहती है। तब कोरी मान जाता है और महीन सूत कातकर उसे देता है।


ग. बुनकर के पास- काता हुआ महीन सूत लेकर गवरइया बुनकर के पास गई। बुनकर ने आधे कपड़े को खुद रख लिया और आधा गवरइया को दे दिया। बुनकर ने भी महीन कपड़ा बुनकर गवरइया को दिया था।


घ. दर्जी के पास- बुना हुआ कपड़ा लेकर गवरइया दर्जी के पास पहुंचती है। पहले तो दर्जी गवरइया का काम करने से मना करता था। जब गवरइया ने उससे कहा कि दो टोपियां सिलकर एक उसे दे दे और एक खुद रख ले तब वह खुशी के साथ काम करने को तैयार हो गया।


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