गवरइया की इच्छा-पूर्ति का क्रम घूरे पर रूई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमशः एक-एक करके कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य विवरण तैयार कीजिए।


मेरा स्कूल घर से करीब 3 किमी दूर है। रोज पैदल आने-जाने में समय नष्ट होता है। पिछले कुछ दिन से मैं सोच रहा था कि साइकिल खरीद लूंगा तो स्कूल आने-जाने से सहूलियत हो जाएगी। समय भी बचेगा। मैंने ये इच्छा पापा के सामने जाहिर की। लेकिन पापा ने कहा कि पहले चलाना सीखो फिर ही साइकिल दिलाएंगे। अब एक साइकिल का जुगाड़ करना था जिससे मैं उसे चलाना सीख सकूं। दो दिन बाद मेरे दोस्त ने बताया कि उसके भाई ने मोटर साइकिल खरीद ली है और अब उनकी पुरानी साइकिल घर पर ही रहती है। तब मैंने उससे कहा कि कुछ दिन के लिए वो साइकिल मुझे दे दे जिससे मैं उसे चलाना सीख सकूं। दोस्त ने साइकिल तो दे दी लेकिन उसकी हालत कुछ ठीक नहीं थी। पास में ही एक पंचर वाली दुकान पर जाकर मैंने उसे दुरुस्त करवा लिया। इसके बाद एक हफ्ते तक साइकिल चलाने की प्रैक्टिस की। एक हफ्ते बाद उसी साइकिल से मैं पापा के पास पहुंचा। घर पहुंचा तो देखा कि पापा ने पहले से ही मेरे लिए साइकिल खरीदकर रखी है। उन्हें पता चल गया था कि मैं साइकिल चलाना सीख रहा हूं। मैंने कुछ दिन पहले साइकिल से स्कूल जाने के बारे में सोचा और आज वो मेरे पास है।


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