पाठ से

देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो। माँ ने पिताजी से गंभीरता से यह क्यों कहा?



पिता जी ने गौरेयों को बाहर निकालने में काफी जद्दोजहद की। कभी वो रोशनदान से तो कभी दरवाजों के छेद से अंदर आ जातीं। पिता जी का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। तब मां बड़ी गंभीरता से बोलीं, देखो जी चिड़ियों को मत निकालो। अब तो इन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे। अब ये यहां से नहीं जाएंगी। मां को पता था कि किसी का भी घर उजाड़ना अच्छी बात नहीं होती है। साथ ही अगर चिड़ियों ने अंडे दे दिए होंगे तब तो ऐसा करना बिल्कुल भी उचित नहीं था। मां समझ चुकी थी कि गौरैया अब घर से बाहर नहीं जाने वाली हैं। इसलिए उन्होंने पिता जी को गौरैया का घोंसला उजाड़ने से गंभीरता से मना कर दिया|


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