कविता से

क) कविता में रतन किसे कहा गया है और वे कहाँ-कहाँ बिखरे हुए हैं?


ख) ओस कणों को देखकर कवि का मन क्या करना चाहता है?



क) इस कविता में कवि ने ओस की बूंदों को रतन कहा है। जब जाड़ों के मौसम में ओस की बूंदें पत्तों पर गिरती हैं तो वो हीरे-मोती जैसे रतनों की तरह दिखती हैं। ये रतन हरी घास, पेड़ों के पत्तों और फूलों पर बिखरे हुए हैं।


ख) कवि पत्तों, फूलों और घास पर ओस की बूंदों को देख कहता है जैसे रतन बिखरे हुए हैं। कवि इन रतनों की रक्षा करना चाहता है। इसलिए वह चाहता है कि उन्हें अपनी अंजलि में भरकर घर ले जाए। घर से जाकर वो उनकी सुंदरता को करीब से देखना चाहता है।


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