मातृभाषा की कविता

अपनी मातृभाषा में ‘किसान’ पर लिखी गई कविता को अपने मित्रों व शिक्षक को सुनाओ।



उगाकर अन्न मेहनत से, हमें भोजन दिलाता हैं,

नमन है उस यौवान को , जो हल से खेल जाता हैं।


पसीना ओस बनकर पत्तियों में जब लहलहराता हैं,


पत्तियां जब फुल बनकर खिलता हैं,


तभी चहरा खुशा से चमक उठता हैं।


मेहनत से सिचाई करता, अन्न देता


वही किसान कहलाता हैं।


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