कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?


हर कोई स्वतंत्र रहना चाहता है। इसी तरह कठपुतली को भी अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा हुई, लेकिन वह इसलिए खड़ी नहीं हुई क्योकि उसके ऊपर सारी कठपतुलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है। सिर्फ उसके खड़े होने से कोई बात नहीं बनने वाली है। इसलिए वह सोच समझकर कदम उठाना जरूरी समझती है।


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