पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि - ‘ये धागे/क्यों हैं मेरे पीछे-आगे? /इन्हें तोड़ दो; / मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो। तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि- ‘ये कैसी इच्छा/मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए-

उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी।


उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।


वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।


वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।



पहली कठपुतली इन बंधनों से आजाद होकर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है, लेकिन जब उस पर दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी भी आती है तो उसे इस बात का डर सताने लगता है कि कहीं उसका उठाया कदम बाकी दूसरी कठपुतलियों को भी मुसीबत में धकेल दे। वह स्वतंत्रता पाने और उसे हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगती है। वह यह सोचकर भयभीत हो जाती है कि अभी उसकी उम्र बहुत कम है और ऐसे में क्या वह सारी कठपुतलियों की जिम्मेदारी ले पाएगी।


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