वे भी जान पड़ता है, पार्क में खेलने निकल गए हैं।’

क्यों भई, किस तरह देते हो मुरली?’


दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है? जरा कमरे में चलकर ठहराओ।’


भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़ने-सुनने में नहीं आते। आप ये बातें कैसे कहेंगे?’



लगता है वे भी पार्क में खेलने निकल गए हैं।

क्यों भई, यह मुरली कितने रुपए की है।


दादी, चुन्न-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। उसे रोककर कमरे में बैठाओ।


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