दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए।


यासुकी-चान और तोत्तो-चान के अपूर्व अनुभव अलग-अलग थे। एक को पेड़ पर चढ़ पाने की ख़ुशी थी दूसरा इस बात से उत्साहित था की वह पेड़ पर चढ़ पाया जो कि उसके लिए एक सपने के समान था एवं तोत्तो-चान को असीम संतुष्टि का आभास हुआ जब उसने अथक परिश्रम और साहस से पोलियोग्रस्त यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाकर उसका स्वागत किया।


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