कुछ यह भी करो

गारो लोगों ने बहुत लंबी यात्रा की थी। यदि तुमने भी कोई लंभी यात्रा की हो तो अपनी यात्रा के बारे में लिखो।



परिवार के साथ यात्रा करन में जो मजा है वह सबसे अच्छा होता है। एक बार मेरा परिवार, मौसी का परिवार और मामा का परिवार हम सभी लोग कोलकाता और वहां से दार्जिलिंग, सिक्किम के ट्रिप पर गए थे। यह ट्रिप मेरे लिए आज भी यादगार है। बड़ों और बच्चों को मिलाकर हम कुल 14 लोग थे। मैं दिल्ली से सीधा दार्जिलिंग पहुंची थी जबकि बाकी सभी लोग कोलकाता घूमते हुए दार्जिलिंग आए थे। मैं ट्रेन में सुबह 6 बजे ही बैठ गई थी जो मुझे अगले दिन सुबह 7 बजे तक सिलीगुड़ी पहुंचा देती। ट्रेन 7 की बजाय दोपहर 3 बजे पहुंचीं। सब लोगों ने मेरा स्टेशन के बाहर लंबा इंतजार किया। जैसे ही मेरी ट्रेन सिलीगुड़ी पहुंची, फिर शुरुआत हुई सुहाने सफर की। कार में हम लोग मस्ती करते हुए, जगह-जगह रुककर फोटो खींचते हुए पहुंचे। हजारों किलोमीटर धरातल से ऊपर पहाड़ों के बीच ठंडी-ठंडी हवा मन को सुकून दे रही थी। हम लोगों को दार्जिलिंग पहुंचते-पहुंचते करीब 11 बज गए थे। होटल में जैसे ही पहुंचे सबसे पहले तो खाना खाया। बेहतरीन खाने के बाद कॉफी पी। सभी बड़े लोग थक गए थे इसलिए वो तो सो गए थे। हम बच्चा पार्टी में दार्जिलिंग पहुंचने की इतनी खुशी थी कि किसी को नींद ही नहीं आ रही थी। हम लोग होटल के गॉर्डन में टहलने चले गए। रात के करीब 1 बज रहे होंगे। चारों तरफ अंधेरा और पहाड़ों पर टिमटिमाती लाइटें बहुत सुंदर लग रही थी। हम लोगों ने खूब बातें की और कब सुबह हो गई पता ही नहीं चला। थोड़ी देर जाकर सो गए और फिर घूमने के लिए तैयार हो गए। परिवार के साथ यह ट्रिप मेरे दिल के आज भी करीब है।


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