अनुभव और विचार

विश्वेश्वरैया ने बचपन में रामायण, महाभारत, पंचतंत्र आदि की कहानियाँ सुनी थीं। तुमने पाठ्यपुस्तक के अलावा कौन-कौन सी कहानियाँ सुनी हैं? किसी कहानी के बारे में बाताओ।



जंगल में एक चिड़िया ने अपना घोसला बनाया। वह रात—दिन उसी में रहती और वहीं अपना खाना लाकर खाती थी। एक बार वो पास के खेत में दाना चुगने चली गई। वह खेत बहुत हरा—भरा था। उसे वहां खाने को बहुत कुछ मिला। चिड़िया खाने—पीने के लिए कुछ दिन वहीं रुक गई और उसकी जिंदगी मौज से कटने लगी।


एक दिन उस पेड़ के पास एक खरगोश आया, जहां चिड़िया का घोसला था। पेड़ की लंबाई ज्यादा नहीं थी। खरगोश ने थोड़ा झांककर देखा तो उसे खाली घोसला दिखा। घोसला काफी बड़ा था। खरगोश ने तय किया कि अब यह खाली पड़ा घोसला ही उसका घर है। खरगोश भी उस घोसले में मौज से रहने लगा।


एक दिन चिड़िया खूब मोटी—ताजी होकर खेत से लौटी। अपने घोसले में खरगोश को देखकर उसे बहुत गुस्सा आया। उसने खरगोश से अपना घोसला वापस करने को कहा। खरागोश ने घर खाली करने से मना कर दिया। चिड़िया और खरगोश ने फैसला किया कि वो किसी विद्वान से चलकर इस बात का समाधान निकलवाते हैं। जो वो विद्वान कह देगा घर उसका ही हो जाएगा।


नदी के किनारे से गुजरते समय उन्होंने देखा कि एक बिल्ली कुछ शास्त्रपाठ कर रही है। हालांकि बिल्ली, खरगोश और चिड़िया की जानी दुश्मन होती है फिरभी वे हिम्मत करके उसके पास समाधाान लेने गए।


बिल्ली ने दोनों की बात सुनी। इसके बाद उसने कहा कि वो इसका समाधान दोनों के कान में बताएगी। खरगोश और चिड़िया खुश हो गए कि अब उन्हें समाधान मिल जाएगा। जैसे ही दोनों बिल्ली के बिलकुल करीब गये उसने खरगोश को पंजे में पकड़ा और चिड़िया को मुंह में नोच लिया। दोनों का काम तमाम कर दिया। अपने शत्रु को पहचानते हुए भी उस पर विश्वास करने से खरगोश और चिड़िया को अपनी जान गंवानी पड़ी।


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