नौकरों को हमें वेतनभोगी मजदूर नहीं, अपने भाई के समान मानना चाहिए। इसमें कुछ कठिनाई हो सकती है, फिर भी हमारी कोशिश सर्वथा निष्फल नहीं जाएगी। गाँधी जी ऐसा क्यों कहते होंगे? तर्क के साथ समझाओ।
गांधी जी नौकरों को भी अपने जैसा ही समझते थे। उन्हें लगता था कि जैसे कि हम लोग इंसान है। जिस तरह से हमें मान सम्मान चाहिए ठीक उस तरह नौकरों को भी सम्मान मिलना चाहिए। उन्हें भी प्रेम और सहानुभूति मिलनी चाहिए। इस तरह का व्यवहार उन्हें खुशी दे सकता है।