प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है?
बच्चे के पिता उसके प्रत्येक खेल में शामिल होने का प्रयास करते थे। वे उससे बहुत अधिक स्नेह करते थे साथ ही उसके साथ मित्र जैसा व्यवहार और उसके खेल में भी शामिल होते थे| कहने का तात्पर्य है कि बच्चे का पिता से बहुत करीबी और स्नेह का संबंध था| उसके पिता अपना बहुत सारा वक्त अपने बेटे के साथ गुजारते थे| उसकी अधिकाँश गतिविधियों में किसी न किसी प्रकार से शामिल होते थे| परन्तु विपदा के समय बच्चे को जिस ममता, स्नेह और वात्सल्य की आवश्यकता होती है अथवा थी वह उसे माँ से ही प्राप्त हो सकती थी| इसी कारण से जब बच्चों पर विपदा पड़ती है अथवा जब वे किसी संकट में होते हैं तो अकसर उन्हें अपनी माँ की याद आती है| वे अपनी माँ के आँचल में सुरक्षित महसूस करते हैं| भोलानाथ के सामने भी जब शर्प आ गया और उसे गंभीर खतरा महसूस हुआ तो वह भी पिता की जगह माँ के आँचल में जाकर छिप गया| उसके पिता ने उसे अपनी गोद में लेना चाहा लेकिन भोलानाथ ने अपनी माँ का आँचल नहीं छोड़ा क्योंकि वह अपनी माँ के आँचल में प्रेम और शान्ति की छाया से बाहर नहीं निकालना चाहता था| माँ की गोद में उसे सुरक्षा और वात्सल्य का वह अनुभव प्राप्त हुआ जो पिता की गोद में प्राप्त नहीं होता| इसी कारण से भोलानाथ ने समस्या के समय पिता की जगह अपनी माँ की गोद को प्राथमिकता दी|