दूलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
दुलारी बिशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी वह अतिविशिष्ट है| वहाँ के समाज के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा इन प्रतिभावान व्यक्तियों और इनकी कलाओ को ठीक-ठाक मान-सम्मान नहीं दिया जाता था लेकिन इस प्रकार के समाज में भी दुलारी ने अपना कुछ अलग ही स्थान बना लिया था। वह जहाँ भी जाती उसे जीत ही हासिल होती था। दुलारी की मुख्य चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
स्वाभिमानी- दुलारी बहुत ही स्वाभिमानी महिला थी। वह अपने स्वाभिमान का समझौता किसी के भी सामने एवं किसी भी स्थिति में नहीं करती थी|
निडर स्त्री- दुलारी एक बहुत ही निडरस्त्री थी। अकेली स्त्री होने के कारण उसने स्वयं की रक्षा हेतु खुद को निडर बना लिया था। अपनी निडरता के कारण ही दुलारी ने फेंकू की दी हुई साड़ी को जूलूस मे फेंक दिया था। वह किसी से भी नहीं डरती थी| निडरता से पूरे समाज का सामना अकेले करती थी|
सच्ची प्रेमीका- दुलारी एक सच्ची प्रेमीका थी। वह टुन्नू से बहुत प्रेम करती थीं। लेकिन वह कभी भी अपने प्रेम को टुन्नू के सामने बयान नहीं करती थी लेकिन टुन्नू की मृत्यु के पश्चात उसने टुन्नू के प्रति अपने प्रेम को खुलकर व्यक्त किया|
प्रबुद्ध गायिका : दुलारी मधुर स्वर में गाती थी| उसमें गाने एवं तुरंत सवाल-जवाब करने की अनोखी प्रतिभा थी| वह दंगल में जिस पक्ष में खड़ी होती, जीत उसी पक्ष की होती थी|