परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए-

बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वहिदित श्रत्रियकुल द्रोही।।


भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।।


सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा।।


मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।


गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर।।


परशुराम ने सभा में अपने ब्रह्मचारी होने के बारे में सबको बताया। उन्होंने भरी सभा में अपने बारे में आगे कहा कि मेरे बारे में पूरी दुनिया जानती है, मैं क्षत्रिय कुल नाशक रहा हूँ। ऐसा वे राम और लक्ष्मण के क्षत्रिय होने के कारण कहते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी भुजा के बल से भूमि को राजा से विहीन कर दिया यानि राजाओं से भूमि जीत ली। ऐसा करने के बाद यानि राजाओं से भूमि जीतने के बाद परशुराम जी ने उस भूमि को दान के रुप में ब्राह्मणों को दे दिया। वे आगे कहते हैं कि उन्होंने अपने फरसे से सहस्रबाहु की भुजाओं को काट दिया। वे अपनी गुणों की बखान आगे इस प्रकार करते हैं कि उनका फरसा मां के गर्भ में अवस्थित शिशु की हत्या करने में भी सक्षम है।


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