(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’ किसके प्रतीक हैं? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए।
कबीरदास के अनुसार जो व्यक्ति केवल सांसारिक सुखों में डूबा रहता है और जिसके जीवन का उद्देश्य केवल खाना, पीना और सोना है, वही व्यक्ति सुखी है। जो व्यक्ति सांसारिक झंझटों से परे होकर ईश्वर की आराधना करता है वही सुखी है। इसके विपरीत जो व्यक्ति संसार की नश्वरता को देखकर रोता रहता है वह दुखी है। ऐसे लोगो को संसार में फैली अज्ञानता को देखकर तरस आता है। कबीर के अनुसार वह व्यक्ति दुखी है जो हमेशा भोगविलास और दुनियादारी में उलझा रहता है। यहाँ पर ‘सोने’ का मतलब है ईश्वर के अस्तित्व से अनभिज्ञ रहना। जो लोग संसारी सुखों में खोए हैं वे सोए हुए हैं इसलिए वे संसार की नश्वरता और क्षण-भंगुरता को समझ नहीं पा रहे हैं। वे सांसारिक सुखों को सच्चा सुख मानकर उनके पीछे भाग रहे हैं। अज्ञानता के कारण ही वे अपना हीरे-सा अनमोल जीवन व्यर्थ गवाँ रहे हैं। ‘जागने’ का मतलब है अपनी मन की आँखों को खोलकर ईश्वर की आराधना करना। ज्ञानी व्यक्ति जानता है कि संसार नश्वर है फिर भी मनुष्य इसमें डूबा हुआ है। यह देखकर वह दुखी हो जाता है। वह चाहता है कि मनुष्य भौतिक सुखों को त्यागकर ईश्वर प्राप्ति की ओर अग्रसर हो।
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?
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