निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से मधुर-मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।


कवयित्री ने मन रूपी दीपक को हर बार अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग ढंग से जलने को कहा है। ईश्वर से एकाकार होंने की परिस्थिति में उन्होंने इस दीपक को मधुर-मधुर रूप में जलना ताकि वह अपने इस उद्देश्य की पूर्ति कर सके। उन्होंने पूजा के धूप की तरह अपने आप को जला कर सुगंध फैलाने, मोम की तरह गलने और समुद्र की तरह अपार प्रकाश फैलाने की परिस्थिति में दीपक को पुलक-पुलक कर जलने को कहा है। संसार के लोग जब अहंकार वश प्रभु भक्ति से वंचित हो जाते हैं तब कवयित्री का मन रूपी दीपक अपनी ज्योति उन वंचितों को देने हेतु सिहर-सिहर कर जलता है। इसी प्रकार से कवियत्री दीपक को अलग-अलग परिस्थिति में अलग-अलग तरीके से परिस्थिति के अनुसार जलने के लिए कहती है|


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