निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-

तरने की हो शक्ति अनामय


मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।


ईश्वर से कवि अपनी समस्या के समाधान हेतु स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद भी चाहते हैं। वे ईश्वर से इस बारे में प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर भले ही उनकी समस्याओं के भार को हल्का करके उनका बोझ ना कम करें। इस हेतु उन्हें ईश्वर सांत्वना के दो बोल भी न कहें। यह भी कवि को स्वीकार है। कहने का अर्थ है कवि अपनी समस्या के समाधान हेतु ईश्वर से स्वस्थ जीवन का भी सिर्फ आशीर्वाद चाहते हैं। दूसरे शब्दों में वे नहीं चाहते हैं कि ईश्वर किसी हालत में उन्हें अपने आशीर्वाद से खालि कर दें। चाहे ईश्वर उनकी समस्याओं को कम नहीं करें और चाहे उनकी समस्याओं को हल्का करने हेतु उनसे सांत्वना के दो बोल न कहें। ईश्वर से कवि इस बारे में हर हाल में प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें स्वस्थ जीवन प्रदान करें। यही प्रस्तुत पंक्तियों का भाव है।


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