नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए?
(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर
पचीसों टोपियाँ न्यौछावर होती हैं|
(ख) तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं।
(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?
(क) यहाँ लेखक की नजर में जूता तौहीन पहुँचाने या दूसरों को अपमानित करने का प्रतीक है। वहीं टोपी आत्मसम्मान का प्रतीक बताया गया है। जूते की कीमत को टोपी का पच्चीस गुणा बताकर वास्तव में लेखक द्वारा लोगों के बीच दूसरों को अपमानित करने के बढते चलन के बारे में बताया गया है। साथ ही लेखक द्वारा लोगों में आत्मसम्मान की घटती भावना को टोपी की काफी कम कीमत रहने के रूप में बताया गया है।
(ख) यहां लेखक प्रेमचंद के द्वारा बाहर-भीतर एक समान रहने की उनकी सोच को लेकर उन्हें
प्रेमपूर्वक उलाहना देता है। वह अपने आप को प्रेमचंद की इस सोच पर न्यौछावर कर देता है। वह
अपने आप एवं अन्य लोगों को प्रेमचंद की ऐसी सोच का ना होने पर अफसोस प्रकट करता है।
(ग) प्रेमचंद एक स्पष्टवादी इन्सान थे उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था| अगर उन्हें किसी की आलोचना करनी होती थी तो वे उसकी आलोचना उसके मुँह पर ही करते थे अर्थात उसकी तरफ हाथ की ऊँगली नहीं बल्कि पैर की ऊँगली दिखाते थे|