ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है-


उपर्युक्त भाव निम्नलिखित पंक्तियों में व्यक्त हुआ है-

आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।


सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!


जेब टटोली, कौड़ी न पाई


माझी को दूँ, क्या उतराई?


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